दीदी को ले डूबेगी यह गुण्डागर्दी

राजनीति में सदाचार की अपेक्षा करना ही व्यर्थ है लेकिन जब सरेआम गुण्डागर्दी की राजनीति होने लगे तो जनता इसे माफ नहीं करती। उत्तर प्रदेश की जनता ने एक दल की सरकार को इसी के चलते सत्ता से बाहर कर दिया था। पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव का समय नजदीक ही आ रहा है। वहां पर सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस कार्यकर्ताओं की गुण्डागर्दी बढ़ती ही जा रही है। देश में जब संविधान दिवस मनाने की तैयारियां हो रही थीं और लोग दोहरा रहे थे कि हम भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त करने के लिए तथा उन सबमें व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता, अखंडता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्प होकर अपनी इस संविधानसभा में आज तारीख २६ नवम्बर १९४९ मिति मार्गशीर्ष शुक्ल सप्तमी सम्वत् दो हजार छह विक्रमी को एतद् संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मर्पित करते हैं। ठीक उसी समय पश्चिम बंगाल में उपचुनाव के दौरान प्रत्याशी जयप्रकाश मजूमदार को कथित तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ता थप्पड़, लात-घूंसे मारकर सडक़ किनारे झाड़ी में फेंक रहे थे। इस प्रकार न तो व्यक्ति की गरिमा का ध्यान रखा जा रहा था और न किसी नागरिक के न्याय, विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा लोकतांत्रिक सरकार कर पा रही थी। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को इस प्रकार की गुण्डागर्दी भारी पड़ सकती है।
पश्चिम बंगाल की तीन और उत्तराखण्ड की एक विधानसभा सीट पर २५ नवम्बर को मतदान हो रहा था। पश्चिम बंगाल की कलियागंज सीट कांग्रेस विधायक प्रमथनाथ राय के निधन के बाद खाली हुई है जबकि खडग़पुर सीट से पिछली बार विधायक चुने गये प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने लोकसभा चुनाव में विजय हासिल करने के बाद विधायक पद से इस्तीफा दिया है। इसी प्रकार करीमपुर की तृणमूल विधायक महुआ मित्रा ने भी कृष्ण नगर संसदीय सीट से विजयश्री प्राप्त की और सांसद बनने के बाद विधानसभा सीट से इस्तीफा दिया। इस प्रकार तीन सीटों में एक कांग्रेस की, एक भाजपा की और एक तृणमूल कांग्रेस की है। इन तीनों सीटों पर १८ प्रत्याशी अपने भाग्य को आजमा रहे हैं। सभी चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतें लेकिन अपनी-अपनी सीट वापस लेने का प्रयास तो कर ही रहे हैं। करीमपुर की सीट सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस की थी और इस पर जीत हासिल करना पार्टी की प्रतिष्ठा से जुड़ गया है। इसी करीमपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव के दौरान २५ नवम्बर को मतदान के दौरान भाजपा प्रत्याशी जयप्रकाश मजूमदार को कथित रूप से तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने पीटा। हालांकि तृणमूल कांग्रेस ने इस वारदात में अपने कार्यकर्ताओं के शामिल होने से इनकार किया है।
बहरहाल, घटना के बारे में जो जानकारी मिली, उसके अनुसार नदिया जिले के पिपुल खोला थाने के अन्तर्गत खियाघाट इस्लामपुर प्राथमिक स्कूल को मतदान बूथ बनाया गया था। करीमपुर विधानसभा क्षेत्र के इस बूथ के बारे में भाजपा प्रत्याशी जयप्रकाश मजूमदार को यह जानकारी मिली कि बूथ से लगभग १० मीटर की दूरी पर ही एक संदिग्ध दावत के लिए एक घर में बड़ी मात्रा में भोजन पकाया जा रहा है। भाजपा प्रत्याशी जयप्रकाश मजूमदार प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष भी है। वे तुरन्त ही उस बूथ की तरफ चल पड़े। भाजपा के  लोगों का कहना है कि श्री मजूमदार ने १०-११ लोगों को खाना पकाते हुए पाया। भाजपा कार्यकर्ताओं ने यह भी दावा किया कि यह भोजन मतदान अधिकारियों के लिए तैयार किया जा रहा था। हालांकि चुनाव कार्य में लगे सभी अधिकारियों ने इस बात से इनकार किया है कि उनके लिए वहां भोजन बनाया जा रहा था। चुनाव अधिकारी इस बात को खुलेआम स्वीकार भी नहीं कर सकते। बहरहाल भाजपा प्रत्याशी को लगा कि यह चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन है, इसलिए उन्होंने बूथ से बाहर आने के बाद प्रशासन के अधिकारियों और चुनाव अधिकारियों को सूचित कर दिया। यहां तक तो सब ठीक था लेकिन इसके बाद जो वहां हुआ, उससे हमारा लोकतंत्र शर्मिंदा हुआ और संविधान को भी सदमा लगा होगा। चुनाव के समय प्रत्याशी को सुरक्षा देना राज्य सरकार का दायित्व है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को अपने अधिकारियों से पूछना चाहिए कि उन्होंने मजूमदार को सुरक्षा क्यों नहीं दी। भाजपा के नेताओं का कहना है कि उनके नेता और प्रत्याशी श्री मजूमदार जब प्रशासनिक अधिकारियों और चुनाव अधिकारियों को सूचित करने के बाद सडक़ पर खड़े थे, तभी कुछ लोगों ने उन्हें घेर लिया और विरोध करना शुरू कर दिया। इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने मजूमदार का कालर पकड़ा और झाडिय़ों में धकेल दिया। मजूमदार ने जब खड़े होने की कोशिश की तब एक प्रदर्शनकारी ने लात मारकर पुन: झाड़ी में धकेल दिया। केन्द्रीय बल के जवानों ने उन्हें बचाया और प्रदर्शनकारियों को भगाने के लिए लाठी चार्ज करना पड़ा। भाजपा प्रत्याशी जयप्रकाश मजूमदार का कहना है कि बूथ पर कब्जा करने का प्रयास हो रहा था। मुझे बांह और पीठ पर चोटें आयी हैं, यह चोट तो ठीक हो जाएगी लेकिन असल सवाल यह है कि बंगाल को चोटों से कब मुक्ति मिलेगी?
दरअसल यह चोट सिर्फ बंगाल  को नहंी बल्कि देश के संविधान को भी लगी है और लोकतंत्र को भी। इतना तो कह ही सकते हैं कि इसके लिए ममता बनर्जी की सरकार को कठघरे में खड़ा किया जाना चाहिए। चुनाव लोकतंत्र की जान है। जनता अपने प्रतिनिधि निष्पक्ष रूप से और निडर होकर चुने, साथ ही उम्मीदवार भी निडर होकर चुनाव लड़ें। यह व्यवस्था चुनाव आयोग करता है लेकिन राज्य सरकार का भी दायित्व है कि चुनाव की शुचिता बनी रहे। कोई भी चाहे वह सत्तारूढ़ दल का नेता या कार्यकर्ता हो, तब भी उसे कानून तोडऩे की इजाजत नहीं दी जा सकती। मजूमदार पर हमला करने वाले भले ही तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ता हों, लेकिन यह हमला कैसे हुआ जब ममता की सरकार प्रत्याशी की सुरक्षा कर रही है?              (हिफी)