जश्न की हकदार, योगी सरकार

हम कोई ऐसा कार्य करें या हो जाए, जिसकी चर्चा हमारे विरोधी भी करें तो यह उपलब्धि होती है और उस पर खुशी मनाने का हक है। उत्तर प्रदेश में भाजपा ने भी कई बार सरकार बनायी है लेकिन कोई भी मुख्यमंत्री तीन साल से ज्यादा काम नहीं कर पाया। योगी आदित्यनाथ ने १९ मार्च २०१७ को प्रदेश के मुख्यमंत्री का दायित्व संभाला था और आगामी १९ मार्च को उनकी सरकार के तीन साल पूरे हो जाएंगे। यह योगी सरकार की एक बड़ी उपलब्धि है। इसी के साथ सोने में सुहागे की तरह राम मंदिर का मामला जुड़ गया है। भाजपा का जन्म ही राम मंदिर आंदोलन के साथ हुआ था और जब-जब चुनाव हुए, तब-तब भाजपा के नेता अयोध्या जाकर यही नारा लगाते थे ‘रामलला हम आएंगे, मंदिर यहीं बनाएंगे। यह मामला अदालत में चल रहा था और संयोग देखिए कि सुप्रीम कोर्ट ने उसी स्थान पर मंदिर बनाने का फैसला सुनाया। यह फैसला भी योगी आदित्यनाथ की सरकार के समय में आया है। इन दो बड़ी उपलब्धियों साथ ही योगी की सरकार ने कई उल्लेखनीय कार्य भी किये हैं, जिनके चलते योगी की सरकार को जश्न मनाने का पूरा हक है।
योगी सरकार के कार्यकलापों पर सरसरी निगाह डाली जाए तो २०१७ में उन दिनों की याद आ जाती है जब १९ मार्च को योगी के मुख्यमंत्री बनते ही प्रदेश का पुलिस-प्रशासन अचानक अति सक्रिय हो गया था। सबसे ज्यादा सख्ती अवैध स्लाटर हाउस बंद कराने को लेकर हुई थी। इसके लिए सरकार ने कोई अलग से आदेश भी जारी नहीं किया था क्योंकि जो काम अवैध हो रहा है, उसे रोकना पुलिस-प्रशासन का दायित्व है। उससे पहले पुलिस-प्रशासन वही कार्य क्यों नहीं कर रही थी, यह चर्चा भी हुई थी। इसके साथ ही छेड़छाड़ और गुंडागर्दी रोकने के लिए आनन-फानन में एण्टी मजनू स्क्वायड बन गये और स्कूल-कालेजों के आस-पास खड़े होकर छेड़खानी करने वालों की धरपकड़ से कथित मजनुओं में हडक़म्प मच गया था। भाजपा ने विधानसभा चुनाव के समय सडक़ों को गड्ढा मुक्त करने का वादा किया था और योगी के मुख्यमंत्री बनते ही लोगों ने देखा कि उनके आसपास की सडक़ें गड्ढामुक्त की जा रही हैं। इस प्रकार योगी आदित्यनाथ की सरकार ने प्रदेश की जनता को उस समय यह अहसास जरूर करा दिया था कि भाजपा की ये सरकार अन्य सरकारों से हटकर है, विशेष रूप से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्य करने का तरीका कुछ अलग है। अधिकारियों और पुलिसकर्मियों ने ब्रह्म मुहूर्त अर्थात् सवेरे चार-पांच बजे जगना शुरू कर दिया था। पुलिस के कुछ कर्मचारी तो यह कहते सुने भी गये थे कि ‘बाबा न खुद सोता है, न सोने देता है।’
यह सच है कि जिस बुलेट ट्रेन की रफ्तार की तरह योगी की सरकार ऐक्शन में आयी थी, वो बहुत समय तक बरकरार नहीं रह पाया। विशेष रूप से इसी वर्ष प्रदेश की राजधानी लखनऊ में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के विरोध में उग्र प्रदर्शन हुआ और पुलिस चौकियों के साथ सरकारी-गैर सरकारी सम्पत्ति जलायी गयी। उपद्रव में एक व्यक्ति की जान भी चली गयी। पता चला कि दंगा करने बाहर से लोग आये थे। पीपुल्स फ्रंट आफ इंडिया (पीएफआई) जैसे सिमी के नये प्रतिरूप सामने आये तो लगा कि योगी सरकार की कानून-व्यवस्था शिथिल पड़ गयी है। 
इस बीच योगी सरकार २०१७ सेे ही अपने संकल्प पत्र को पूरा करने के लिए काम कर रही थी। सबसे पहले योगी सरकार ने किसानों से किया गया वादा पूरा किया। योगी सरकार की पहली कैबिनेट बैठक में ही किसानों का एक लाख रुपये तक का कर्ज माफ कर दिया गया। तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने साफ-साफ कह दिया था कि राज्य सरकारों को इस तरह का पैसा केन्द्र सरकार नहीं देगी, इसके बावजूद योगी सरकार ने आंतरिक व्यवस्था करके किसानों से किया गया वादा पूरा किया था। योगी की सरकार ने प्रदेश के विकास का एक नक्शा बना लिया था और उसके अनुसार कार्य भी होने लगे। विकास कार्यों के साथ ही योगी की सरकार प्रदेश की पहचान को भी वापस लाना चाहती थी। उत्तर प्रदेश की धरती ही ऐसी है जहां परमपिता परमेश्वर ने राम और कृष्ण के रूप में अवतार लिया। भगवान राम की नगरी अयोध्या और भगवान कृष्ण की लीला स्थली मथुरा को उनका प्राचीन गौरव दिलाने के लिए योगी सरकार ने अयोध्या में वृहद स्तर पर दीपोत्सव का आयोजन किया तो मथुरा में होली का त्योहार पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण का केन्द्र बना। अयोध्या दीपोत्सव और ब्रज की होली के साथ ही प्रदेश में उद्योग-धंधों को बढ़ाने के लिए इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन हुआ। योगी सरकार ने एक जनपद एक उत्पाद की योजना को भी लागू कर दिया। पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के साथ बुंदेलखण्ड क्षेत्र में डिफेन्स कॉरीडोर बनाया जा रहा है।
योगी आदित्यनाथ की सरकार ने प्रदेश में किसानों को बकाया गन्ना मूल्य का भुगतान कराने में रिकार्ड बनाया है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार ८८२८१ करोड़ रुपये का भुगतान कराया गया और प्रदेश को इसके लिए प्रथम पुरस्कार मिला। सूक्ष्म, लघु, मध्यम उद्योगों की स्थापना में भी उत्तर प्रदेश को देश में प्रथम स्थान मिला है। ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा ग्राम स्वराज अभियान के अंतर्गत दूसरा पुरस्कार मिला तो मनरेगा के तहत कार्य होने पर प्रथम पुरस्कार प्रदान किया गया है। प्रदेश ने प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के अंतर्गत सराहनीय कार्य किया गया है। राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत उत्तर प्रदेश को केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने प्रथम पुरस्कार प्रदान किया। यह मंत्रालय डा- महेन्द्र सिंह संभाल रहे थे और इसके लिए उनकी भी तारीफ की गयी। इसी के चलते केन्द्र सरकार की तर्ज पर बनाये गये जलशक्ति मंत्रालय का प्रभार डा- महेन्द्र ंिसह को सौंपा गया। सर्वाधिक खाद्य उत्पादन के लिए भारत सरकार ने उत्तर प्रदेश को एक करेाड़ रुपये का प्रोत्साहन पुरस्कार प्रदान किया है। लखनऊ में स्थापित वनस्टाप सेंटर को महिला सशक्तिकरण के लिए उत्कृष्ट कार्य करने पर नारी शक्ति पुरस्कार मिला। प्रदेश की आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को भी महिला एवं बाल विकास मंत्रालय भारत सरकार ने राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किया है।  (हिफी)