संजय गोविलकर को अर्से बाद मिला न्याय


  • अजमल कसाब को जिंदा पकडऩे वाले १४ पुलिस वालों को महाराष्ट्र सरकार ने आउट ऑफ वे जाकर एक र्पमोशन देने का फैसला किया है। इन १४ पुलिस वालों में एक नाम संजय गोविलकर का भी है, जिन्हें तत्कालीन पुलिस कमिश्नर संजय बर्वे ने गत सितंबर में एक आरोपी को गिरफ्तार न करने के आरोप में निलंबित कर दिया था। बाद में आरोप गलत पाए जाने पर बर्वे ने अपने रिटायरमेंट के दो दिन पहले २७ फरवरी को गोविलकर का निलंबन वापस ले लिया। इंस्पेक्टर गोविलकर सरकार के आदेश के बाद अब एसीपी बन गए हैं। 
    गोविलकर पर आरोप था कि उन्होंने मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर दाऊद के एक कथित पूर्व सहयोगी को हिरासत में लेकर बाद में छोड़ दिया था। यह आरोपी दुबई से मुंबई एयरपोर्ट पहुंचा था पर मुंबई पुलिस सूत्रों का कहना है कि उस केस की जांच गोविलकर नहीं, उनके एक जूनियर अधिकारी कर रहे थे। वह उसे सिर्फ सुपरवाइज कर रहे थे। जिस वक्त आरोपी को छोड़ा गया था, उस वक्त गोविलकर बॉम्बे हाईकोर्ट गए थे। सूत्रों का कहना है कि उस आरोपी को गिरफ्तार न करने का फैसला गोविलकर का नहीं, बल्कि एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी का था। शुरूआती जांच में यह बात सामने नहीं आई थी कि संबंधित आरोपी के खिलाफ र्पॉपर्टी से जुड़े दस से १२ और मामले हैं। जब उस आईपीएस अधिकारी को पता चला कि संबंधित आरोपी ने शुरूआती पूछताछ में यह सच छिपाया है, तो उसे सीआरपीसी के सेक्शन ९१ के तहत नोटिस देने का भी फैसला किया गया था। 
    ध्यान रहे संजय गोविलकर २६/११ को डीबी मार्ग पुलिस स्टेशन से जुड़े हुए थे। गिरगांव चौपाटी पर इसी पुलिस स्टेशन के १४ पुलिसकर्मियों ने कसाब और उसके साथी अबू इस्माइल को घेरा था। उस एनकाउंटर में इस्माइल मारा गया था। उसी दौरान कसाब द्वारा चलाई गोलियों में सिपाही तुकाराम ओंबले शहीद हो गए थे। उस गोलीबारी में एक गोली इंस्पेक्टर गोविलकर के कमर को छूते हुए निकल गई थी। उस वक्त एनकाउंटर स्थल पर मौजूद सभी पुलिस कर्मियों ने कसाब को उस स्कोडा गाडी से नीचे उतारा, जिस पर फ्री र्पेस जनरल ऑफिस के पास उसने व इस्माइल ने कब्जा कर लिया था। (हिफी)