दिल्ली के निजामुद्दीन में एक से १५ मार्च तक सम्पन्न हुई तब्लीगी जमात में एकत्र हुए लोगों में से ६ लोगों की
तेलंगाना में मौत के बाद ये सवाल उठने लगे हैं कि इसके लिए जिम्मेदार कौन है। दिल्ली की अरविन्द केजरीवाल की
सरकार ने दिल्ली पुलिस पर दोष मढ़ दिया क्योंकि वहां की पुलिस केन्द्र सरकार के अधीन रहती है। दिल्ली पुलिस
कहती है कि हमने तो जमात की सूचना सरकार को दे दी थी। बहरहाल अब हड़कंप मचा हुआ है। निजामुद्दीन की
मस्जिद को बन्द कर दिया गया है। मरकज में कई लोग विदेश से शरीक होने आए थे। तब्लीगी जमात मुस्लिम धर्म
का प्रचार करने वाली एक संस्था है। यह जमात पहले से चल रही थी और जब २२ मार्च को जनता कर्फ्यू लगाकर
लाकडाउन घोषित हो गया। इस बीच जांच ठीक ढंग से होनी चाहिए थी लेकिन जमात के आयोजकोंए राज्य सरकार
और केंद्र सरकार के अधीन रहने वाली पुलिस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चेतावनी पर ध्यान नहीं दिया। इसका
नतीजा यह निकला कि छह लोगों की जान जा चुकी है और सैकड़ों को अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। कई लोग
आइसोलेशन केन्द्र में है। सबसे मुसीबत उन लोगों को लेकर है जो इस जमात में शामिल हुए थे और अपने घर लौट
गए। इनमें से कितने ही लोग उत्तर प्रदेश में आए हैं। इनकी तलाश हो रही है। बेहतर होगा कि वे अपने बारे में साफ.
साफ बता दें। इस मामले में पुलिस प्रशासन सख्ती भी कर सकता है क्योंकि जमात से बिना डाक्टरी जांच के लौटे
लोग समाज के बड़े हिस्से के लिए खतरा बने हुए हैं।
कोरोना वायरस के मामले दिल्ली में लगातार बढ़ते जा रहे हैं। तेलंगाना में कोरोना संक्रमण से सोमवार ३० मार्च को ६
लोगों की मौत हो गई है। कहा जा रहा है कि ये लोग दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित तबलीगी जमात के मरकज ;सेंटरद्ध
के एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे। देश और दुनिया के अलग.अलग हिस्सों से लोग इस कार्यक्रम में आए थे। अब केंद्र
और राज्य सरकारें इन सभी लोगों को ढूंढ़कर उनकी जांच करने में जुटी हैंए क्योंकि इस धार्मिक कार्यक्रम में मलेशिया
और इंडोनेशिया के भी कुछ लोग शामिल हुए थे। दिल्ली में तबलीगी जमात मरकज से जुड़े २४ लोग कोरोना पॉजिटिव
पाए गए हैं। इसके अलावा २२८ संदिग्ध मरीज भी दिल्ली के दो अस्पतालों में भर्ती कराए गए हैं। इनकी रिपोर्ट आनी
बाकी है। इसके चलते कोरोना संक्रमण के खतरे की संभावना बढ़ गई हैए जिससे सरकार और आम लोग भी चिंतित
नजर आ रहे हैं। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के मशहूर अमीनाबाद बाजार से सटे गुइनरोड पर छापा मारा गया
जहां से चार.पांच लोग पकड़े गए जो निजामुद्दीन की मस्जिद में हुई जमात में शामिल हुए थे।
हम यहां तबलीगी जमात की शुरुआत के बारे में भी कुछ जानकारी प्राप्त कर लेते हैं। बताया जाता है कि मुगल काल
में कई लोगों ने इस्लाम धर्म कबूल किया थाए लेकिन फिर भी वो लोग हिंदू परंपरा और रीति.रिवाज अपना रहे थे।
भारत में अंग्रेजों की हुकूमत आने के बाद आर्य समाज ने उन्हें दोबारा से हिंदू बनाने का शुद्धिकरण अभियान शुरू
किया थाए जिसके चलते मौलाना इलियास कांधलवी ने इस्लाम की शिक्षा देने का काम शुरू किया। इसके लिए उन्होंने
१९२६.२७ में दिल्ली के निजामुद्दीन में स्थित मस्जिद में कुछ लोगों के साथ तबलीगी जमात का गठन किया। इसे
मुसलमानों को अपने धर्म में बनाए रखना और इस्लाम धर्म का प्रचार.प्रसार और इसकी जानकारी देने के लिए शुरू
किया। तबलीगी का मतलब होता है अल्लाह की कही बातों का प्रचार करने वाला। जमात का मतलब होता है समूहए
यानी अल्लाह की कही बातों का प्रचार करने वाला समूह। मरकज का मतलब होता है मीटिंग के लिए जगह।
दरअसलए तबलीगी जमात से जुड़े लोग पारंपरिक इस्लाम को मानते हैं और इसी का प्रचार.प्रसार करते हैं। इसका
मुख्यालय दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में स्थित है। इलियास कांधलवी ने पहली जमात दिल्ली से सटे हरियाणा के
मेवात इलाके के नूह कस्बे में की थी। वहां मेवाती समुदाय को नमाजए कलमा सहित इस्लामिक शिक्षा सिखाने पर
जोर दिया। वे मुस्लिम समुदाय के लोगों को इस्लाम की मजहबी शिक्षा देने के लिए ले गए थे। तबलीगी जमात का
काम आज दुनियाभर के लगभग २१३ देशों तक फैल चुका है। तबलीगी जमात के मुख्य उद्देश्य अर्थात उसूल जैसे.
कलिमाए सलातए इल्मए इक्राम.ए.मुस्लिमए इख्लास.ए.निय्यतए दावत.ओ.तबलीग थे। इन्हीं उद्देश्यों को लेकर
तबलीगी जमात से जुड़े हुए लोग देश और दुनिया भर में लोगों के बीच जाते हैं और इस्लाम का प्रचार.प्रसार करते हैं।
तबलीगी जमात में जाने वाला शख्स अपने पैसे खुद लगाता है। तबलीगी जमात के मरकज से ही अलग.अलग हिस्सों
के लिए तमाम जमातें निकलती हैं। इनमें कम से कम तीन दिनए पांच दिनए दस दिनए ४० दिन और चार महीने की
जमातें निकलती हैं। तबलीगी जमात के एक जमात ;समूहद्ध में आठ से दस लोग शामिल होते हैं। इनमें दो लोग सेवा
के लिए होते हैं जो कि खाना बनाते हैं। जमात में शामिल लोग सुबह.शाम शहर में निकलते हैं और लोगों और
दुकानदारों से नजदीकी मस्जिद में पहुंचने के लिए कहते हैं। सुबह १० बजे ये हदीस पढ़ते हैं और नमाज पढ़ने और
रोजा रखने पर इनका ज्यादा जोर होता है। तबलीगी जमात का पहला धार्मिक कार्यक्रम भारत में १९४१ में हुआ थाए
जिसमें २५ए००० लोग शामिल हुए थे।
इस प्रकार तबलीगी जमात भी हमारे देश की गंगा जमुना तहजीब का एक हिस्सा है। इसको लेकर कभी कोई बवाल
भी नहीं हुआ। अबकी बार दिल्ली में जमात के आयोजन से समस्या खड़ी हुई है। जमात के केन्द्र से कोरोना के २४
मरीज मिलने के बाद पुलिस ने पूरे इलाके को सील कर दिया है। मरकज से जुड़े करीब साढ़े तीन सौ लोगों को कोरोना
वायरस की जांच के लिए अलग.अलग हॉस्पिटल में ले जाया गया। जांच के दौरान ही इनमें से एक संदिग्ध की दिल के
दौरे से मौत हो गयी। फिलहाल निजामुद्दीन की मस्जिद को बन्द कर दिया गया है। यहां विदेश से कई लोग आए थे।
लगभग ढाई सौ तबलीगियों में कोरोना के लक्षण भी मिले हैं। अब समस्या यह है कि संक्रमित लोगों की तलाश कैसे
हो। आसपास के लोग भी सशंकित है। पुलिस जमात में शामिल हुए लोगों में से कोरोना के संदिग्धों को अस्पताल
पहुंचाने के बाद उन सैकड़ों लोगों की तलाश कर रही है जो भीड़ में शामिल हुए या लोगों के सम्पर्क में रहे। वे भी कोरोना
से संक्रमित हो सकते हैं। वे कोरोना का मामला सामने आने के बाद डर गए हैं और फरार हो गए हैं। पुलिस ऐसे लोगों की तलाश में ड्रोन की भी मदद ले रही है। जमात में उत्तर प्रदेश के कई जिलों से लोग शामिल हुए थे। प्रदेश के १८ जिलों
के पुलिस अधीक्षकों से कहा गया है कि दिल्ली की जमात में शामिल होने वाले की पहचान कर उनकी जांच कराई
जाए। तब्लीगी जमात में उत्तर प्रदेश से गए लोगों की सूची आसानी से मिल जाएगी।
-अषोक त्रिपाठी .हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा